जैसे जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है वैसे वैसे उसके शरीर की कार्यक्षमता और सहनशक्ति कमज़ोर होती जाती है। जिससे कई बार शरीर के कई अंगो में दर्द भी होने लगता है जो की बहुत ही सामान्य सी बात है। बढ़ती उम्र के साथ कमर में दर्द होना , जोड़ा में दर्द , कंधे व कमर के दर्द बहुत की आम बात है क्योकि जैसे जैसे उम्र बढ़ती है वैसे वैसे शरीर के कई अंग पुराने होने लगते है और उनकी क्षमता पहले जैसी नहीं रह जाती। इन सभी चीज़ो को ठीक तो नहीं किया जा सकता पर कुछ उपायों को अपनाकर इसकी तीव्रता को कम का जरूर किया जा सकता है।
लेकिन आज कल के कम उम्र के युवाओ और working class population में शरीर के विभिन्न अंगो में दर्द देखने को मिल रहा है। कई बार तो ये दर्द अपने आप चले जाते है पर अगर ये समय के साथ बढ़ते रहे तो यह शरीर के लिए एक चिंता का कारण भी बन सकते है।
तो आज के इस लेख में हम बात करेंगे के शरीर के अलग अलग हिस्सों में दर्द क्यों होता है और क्या कुछ सामान्य उपाय अपनाकर आप इससे बच सकते है।
- बहुत देर तक बैठना- दोस्तों जो कमर दर्द या जोड़ो के दर्द का सबसे एहम कारण है वो है एक ही जगह पे बहुत देर तक बैठे रहना। आज कल युवा पीढ़ी अपने काम काज के चलते बहुत देर तक एक ही जगह पे बैठी रहती है जिससे उनके शरीर के सभी अंगो में रक्त का सहीं से प्रवाह नहीं हो पता है और उससे शरीर में कई हिस्सों में दर्द उत्पन्न होने लगता है। इसीलिए हमें अपने काम करने के दौरान कुर्सी से हर आधे या एक घंटे पे एक बार जरूर उठना चाहिए जिससे रक्त का प्रवाह सही से हो सके।
- कैल्शियम की कमी- जोड़ो व शरीर के अलग अलग हिस्सों में दर्द का एक मुख्य कारण आपके शरीर की कैल्शियम की कमी हो सकता है। चूँकि हमारा शरीर कैल्शियम का निर्माण नहीं कर सकता है इसलिए इसकी कमी को हमें बाहरी तत्वों से पूरा करना पड़ता है। यदि आपके शरीर में कैल्शियम की बहुत जायदा कमी हो जाती है तो आपको osteoporosis जैसी बीमारी का भी सामना करना पड़ सकता है जिसमे हड्डी के अंदर सूक्ष्म छिद्र हो जाते है तो आपकी हड्डी को बहुत ही कमज़ोर कर देती है।
- कम शारीरिक गतिविधि- मानव शरीर की संरचना कुछ ऐसी है की वह एक ही जगह पे बैठने के लिए नहीं बनी है इसलिए उसमे कुछ न कुछ हलचल होती रहनी चाहिए। यदि आप कोई भी शारीरिक गतिविध नहीं करते है तो बहुत ज्यादा संभावना है की आप शरीर के किसी न किसी दर्द से जरूर गुज़र रहे होंगे।
- मोटापा- यदि आपके शरीर का भार आपकी शरीर की लम्बाई की तुलना में बहुत ज्यादा है तो इससे आपकी रीढ़ की हड्डी पे अनावशयक भार पड़ता है जिससे कमर दर्द , कंधे का दर्द , जोड़ो के दर्द की समस्या हो जाती है।
- पुरानी चोट के दर्द- कई बार हड्डी की पुरानी चोट के दर्द के कारण भी शरीर में दर्द उत्पन्न होना एक आम बात है।
- Wrong posture में बैठना– कई बार जाने अनजाने हम काम के दौरान एक ही पोजीशन में बहुत देर तक बैठे रहते है जिससे हड्डियों में बेवजह का दबाव पड़ता है जिससे शरीर के कई हिस्सों में दर्द होने लगता है।
- ज्यादा भार उठाना- आज कल लोग अपने वजन को का करने के लिए कई तरह की भारी कसरत करते है जिससे उनकी रीढ़ पे बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है। यदि लम्बे समय तक ऐसी कसरत की जाए तो स्लिप डिस्क की समस्या भी देखे को मिल सकती है।
- तनाव में रहना- यदि आप बहुत ज्यादा तनावपूर्ण मौहोल में रहते है तो इससे भी आपको कई तरह के शारीरिक दर्द हो सकते है क्योकि अधिक तनाव आपके शरीर के इम्यून सिस्टम को कमज़ोर करता है जिससे शरीर में दर्द व सूजन की शिकायत भी होने लगती है।
- पानी की कमी- पानी आपके शरीर के सामान्य और स्वस्थ कामकाज के लिए एक आवश्यक घटक है। इसके बिना, आपका शरीर सांस लेने और पाचन सहित अपनी कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को ठीक से नहीं कर सकता। जब आप dehydrated हो जाते हैं और ये प्रक्रियाएं अच्छी तरह से काम नहीं करती हैं, तो आप परिणामस्वरूप शारीरिक दर्द महसूस कर सकते हैं।
- नींद की कमी- पर्याप्त नींद न लेने से आपके संपूर्ण स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। आपको हर रात कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है। आपके शरीर के ऊतकों और कोशिकाओं को स्वस्थ रहने के लिए उचित नींद की आवश्यकता होती है, और आपके मस्तिष्क को तरोताजा और सतर्क रहने के लिए इसकी आवश्यकता होती है। इसके बिना, आपके शरीर के पास आवश्यक ऊर्जा और प्रक्रियाओं को आराम करने और भरने का समय नहीं होगा। इससे दर्द हो सकता है।
- एनीमिया- एनीमिया तब होता है जब आपके शरीर में पर्याप्त रूप से काम करने वाली लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होती हैं, इसलिए आपके शरीर के ऊतकों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। एनीमिया के साथ, आपके शरीर के कई हिस्सों में थकान महसूस हो सकती है क्योंकि उन्हें स्वस्थ रहने या ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती है।
- गठिया रोग- हमारे शरीर में जोड़ों में एक नर्म और लचीला tissue पाया जाता है जिसे कार्टिलेज कहा जाता है। जब हम चलते हैं तो जोड़ों पर दबाव पड़ता है। ऐसे में कार्टिलेज pressure और shock को absorb कर हमारे जोड़ों की सुरक्षा करता है। जब व्यक्ति को गठिया रोग जैसी बीमारी होती है, तो ऐसे समय में कार्टिलेज की मात्रा में कमी हो जाती है जिस वजह से एक हड्डी दूसरी हड्डी से रगड़ती है और कुछ घुटनो व जोड़ो से जुडी परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं।
हमने शरीर में होने वाले कई तरह के दर्द और उनके पीछे होने वाले कारणों की बात कर ली है अब बात करते है की कैसे कुछ सरल उपायों को अपनाकर आप अपने शरीर में होने वाले दर्द से छुटकारा पा सकते है।
- दवाएं- यदि आप शरीर के दर्द से काफी ज्यादा परेशान और आपको इससे आराम नहीं मिल रहा है तो आप को अपने डॉक्टर से एक बार जरूर सलाह लेनी चाहिए और जैसी दवा या तेल को सुझाव दिया गया हो उसका सेवन करना चाहिए।
- पर्याप्त आराम- बहुत अधिक शारीरिक गतिविधि करने के कारण शरीर में दर्द उत्पन्न होना एक आम बात है। हर दर्द जरूरी नहीं की आपको भविष्य में नुक्सान ही पहुचाये। कई बार अधिक शारीरिक गतिविधि के कारण होने वाले दर्द को सिर्फ पर्याप्प्त आराम करके ही ठीक किया जा सकता है।
- फिजियोथेरेपी- मांसपेशियों में दर्द के लिए फिजियोथेरेपी एक प्रभावी उपचार हो सकता है। रोगी की बेचैनी का कारण निर्धारित करने के बाद, एक फिजियोथेरेपिस्ट गले की मांसपेशियों के इलाज के लिए निम्नलिखित विधियों का उपयोग कर सकता है:
- अल्ट्रासाउंड – फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा उपयोग किया जाने वाला अल्ट्रासाउंड सॉफ्ट टिश्यू को गर्म करता है। जो उपचार प्रक्रिया में मदद करने के लिए किया जाता है। अल्ट्रासाउंड के साथ बढ़ते ऊतक तापमान का उपयोग दर्द को कम करने में मदद के लिए भी किया जाता है।
- डीप टिश्यू मसाज – कई फिजियोथेरेपिस्ट मांसपेशियों में दर्द से निपटने वाले रोगियों के लिए मसाज थेरेपी प्रदान करते हैं या सलाह देते हैं। मालिश करने से न केवल उस समय अच्छा महसूस होता है, बल्कि यह उस सूजन को भी कम करता है जिससे मांसपेशियां कोमल हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त, यह मांसपेशियों के तनाव को दूर करता है और रक्त प्रवाह में सुधार करता है, जो उपचार को बढ़ावा देता है।
- हीट व कोल्ड थेरेपी – गर्मी और ठंडक के प्रयोग से मांसपेशियों में होने वाले दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है। हीट थेरेपी रक्त प्रवाह को बढ़ाती है और दर्द वाले क्षेत्र में अधिक ऑक्सीजन और पोषक तत्व लाती है, जबकि शीत चिकित्सा परिसंचरण धीमा कर देती है, सूजन और दर्द को कम करने में मदद करती है।