इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) क्या है? इसके पीछे क्या कारण होते है और इसे कैसे रोका जा सकता है ?

आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome) एक पाचनतंत्रिक समस्या है जो आंतो (बाउल) में असामान्य लक्षणों के कारण बनती है। 

यह एक सामान्य प्राकृतिक रोग नहीं है, लेकिन यह व्यक्ति के दैनिक जीवन में तकलीफ़ और परेशानी का कारण बन सकता है। 

आईबीएस के कारण आंतो की संवेदनशीलता और बड़ी आंत (कोलन) की सामान्य गतिविधि में असंतुलन होता है। यह सामान्यतः बाउल में पानी की राशि को नियंत्रित करने वाली आंत की बढ़ी हुई संवेदनशीलता और अवसादी स्थिति के कारण होती है।

IBS के सामान्य लक्षण 

आईबीएस के लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जो इस स्थिति को पहचानने में मदद कर सकते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं:

  1. पेट में दर्द या तकलीफ़: यह आईबीएस का सबसे मामूली लक्षण है। यह दर्द मुख्य रूप से पेट के बांई या दाएं भाग में हो सकता है और कभी-कभी पूरे पेट में फैल जाता है। यह दर्द आमतौर पर पाचन के बाद या पेट को खाली करने के बाद अधिक महसूस होता है।
  1. पाचन संबंधी समस्याएँ: आईबीएस के मरीजों को पाचन संबंधी समस्याएँ भी हो सकती हैं। इनमे  पेट फूलना, उपचाय या खुजली की भावना, तेज या पतले दस्त, जलन या अपच, और बदबू आदि लक्षण शामिल होते है।  
  1. आंत्र मार्ग की समस्याएँ: आईबीएस के कारण व्यक्ति को आंत मार्ग की समस्याएँ भी हो सकती हैं। इनमें से कुछ सामान्य समस्याएँ शामिल हो सकती हैं जैसे कि आंत में गैस या एक अवसादी अहसास, आंत के मल निर्गम की समस्या होने लगती है। 

आईबीएस के विभिन्न प्रकार क्या हैं?

आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome) कई प्रकार की हो सकती है और इनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

  1. IBS-C (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम – कंस्टिपेशन डोमिनेंट): इस प्रकार की आईबीएस में मुख्य लक्षण होता है कंस्टिपेशन यानी  पेट का सही से साफ़ न होना है।  इसमें बाउल का आंतरिक अवांतरण धीमा होता है और स्पष्ट बाउल गतिविधि में कमी होती है।
  1. IBS-D (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम – डायरिया डोमिनेंट): यह प्रकार की तेज़ पाचन गतिविधि और डायरिया (पतले दस्त) के माध्यम से पहचाना जाता है। इसमें अधिकांश मल कठोर और ढेलेदार होता है।
  1. IBS-M (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम – मिक्स्ड डोमिनेंट): इस प्रकार में, व्यक्ति को साथ ही कंस्टिपेशन और डायरिया दोनों के लक्षण हो सकते हैं। इसमें आंतो की गतिविधि अनियंत्रित होती है और अनियंत्रित रूप से बदल सकती है।

IBS शरीर को कैसे प्रभावित करता है?

आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome) शरीर को कई तरीकों से प्रभावित करता है और व्यक्ति के दैनिक जीवन को प्रभावित करने के कारण तकलीफ़ और परेशानी का कारण बन सकता है। इसके कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  1. पेट में दर्द और तकलीफ़: आईबीएस के मरीजों में आमतौर पर पेट में दर्द और तकलीफ़ होती है। यह दर्द आधारभूत रूप से पेट के बांई या दाएं भाग में होता है और कभी-कभी पूरे पेट में फैल जाता है। इस दर्द की अवधि और तेजी व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकती है।
  1. पाचन संबंधी समस्याएँ: आईबीएस में पाचन संबंधी समस्याएँ भी हो सकती हैं। यह शामिल कर सकती हैं पेट फूलना, पेट में मरोड़ की भावना, तेज या पतले दस्त, जलन या अपच, और बदबू आदि। ये संकेत आहार पचाने में कठिनाई और पाचन प्रक्रिया में असंतुलन की वजह से होते हैं।
  1. मनोवैज्ञानिक प्रभाव: आईबीएस शरीर के साथ-साथ मन को भी प्रभावित करता है। इसमें अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक प्रभावों को भी जन्म देता है। 
  1. मल निकासी में बदलाव: आईबीएस में मरीज को मल निकासी की समस्याएँ भी हो सकती हैं। इनमें से कुछ मामूली मल निकासी, प्रवाह में असंतुलन, अवसादी अहसास, और मल में असामान्य रंग आना भी शामिल हो सकता है।

आईबीएस (IBS)  के अन्य नाम क्या हैं?  

आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome) के अलावा इसे और भी कई अन्य नामों से भी जाना जाता है :

  1. आंत अतिसंवेदनशीलता (Colonic Hypersensitivity): यह नाम आंत की संवेदनशीलता को दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है।
  1. आंत के संक्रमण के आवेग (Functional Colonic Disturbance): इससे यह दर्शाया जाता  है कि आईबीएस आंत्र की क्रिया में दिखाई देने वाले असामान्य बदलावों का एक प्रकार है। 
  1. आंत्रिक संवेदनशीलता (Intestinal Hyperesthesia): यह नाम आंत की अत्यधिक संवेदनशीलता को दिखाने करने के लिए प्रयोग होता है।
  1. सामान्य सांत्रिकीय आंत संवेदनशीलता (Functional Gastrointestinal Sensitivity): इस नाम से यह दिखाया जाता है कि आईबीएस का मुख्य लक्षण गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल (पाचन तंत्र) संवेदनशीलता की होती है।

ये विभिन्न नाम आईबीएस को व्यक्ति के शरीर में होने वाली समस्याओं को व्यक्त करने के लिए प्रयोग होते हैं, जिससे लोगों को इसकी पहचान करने में आसानी होती है।

IBS विकसित होने का जोखिम किसे है?

IBS की समस्या की शुरुआत किशोरावस्था से लेकर 40 वर्ष के लोगो में देखने को मिल जाती है। महिलाओं को IBS होने की संभावना पुरुषों की तुलना में दोगुनी हो सकती है। IBS एक ही परिवार के कई सदस्यों को हो सकता है।

आपको IBS हो सकता है यदि:

  • IBS का पारिवारिक इतिहास रहा हो 
  • तनाव , चिंता और नींद की कमी 
  • आहार में नुट्रिएंट्स की कमी 
  • बहुत कम शारीरिक गतिविधि 
  • गंभीर पाचन तंत्र संक्रमण

IBS के कारण क्या हैं?

आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome) के कारण अभी तक पूर्णतः स्पष्ट नहीं पता चला है। हालांकि, इसके विकास में कई संभावित कारकों का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। निम्नलिखित कारकों को आईबीएस के कारण के रूप में देखा जा सकता है:

  1. आंत की संवेदनशीलता (Intestinal Sensitivity): कुछ लोगों में आंत की संवेदनशीलता असामान्य रूप से बढ़ी होती है, जिसके कारण वे आंत के सामान्य स्थानिक बदलावों के प्रति अत्यधिक प्रतिक्रिया दिखा सकते हैं।
  1. आंत की मांसपेशियों की गतिविधि (Intestinal Muscle Contractions): आंत की मांसपेशियों की गतिविधि के असामान्य परिवर्तन आईबीएस के लक्षणों के पीछे एक कारण हो सकते हैं। यह गतिविधि अधिक तेज या अधिक धीमी हो सकती है, जिससे आंत की संरचना और कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ता है।
  1. पाचक तंत्र की सामरिक असंतुलन (Gastrointestinal Dysmotility): कुछ मामलों में, पाचक तंत्र की सामरिक असंतुलन के कारण आंत की क्रियाओं में असंगति हो सकती है। यह तंत्रिका अवयवों की सामग्री के आदान-प्रदान की प्रक्रिया को भी प्रभावित करती है।  

IBS के लक्षण क्या हैं?

आईबीएस के लक्षणों में शामिल हैं:

  • पेट में दर्द या ऐंठन
  • पेट के निचले आधे हिस्से में दर्द 
  • पेट का फूला हुआ होना 
  • मल त्याग में कठिनाई 
  • दस्त , कब्ज या दोनों का बार-बार होना 
  • अत्यधिक गैस का बनना

IBS से पीड़ित महिलाओं में उनके मासिक धर्म के दौरान लक्षण बढ़ जाते हैं । ये लक्षण अक्सर बार-बार होते हैं, जिससे आप तनावग्रस्त या परेशान महसूस कर सकते हैं।

IBS का निदान कैसे किया जाता है?

Irritable Bowel Syndrome (IBS) का निदान करने के लिए विभिन्न पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। IBS का निदान करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं:

  1. इतिहास लेना: एक चिकत्सक आपके साथ रोग के बारे में विस्तार से बातचीत करेगा और आपके लक्षणों को समझने की कोशिश करेगा। यह आपके खाने पीने की आदतों, शरीरिक गतिविधियों, एलर्जी, दवाओं के उपयोग और परिवार में IBS के संक्रमण के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सहायक हो सकता है।
  1. शारीरिक परीक्षण: एक चिकत्सक परीक्षण आपकी शारीरिक स्थिति की जांच करेगा और आपके लक्षणों के अनुसार शरीर की अन्य संभावित समस्याओं को बाहर करेगा।
  1. उपशोधन परीक्षण: आपके द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों, विटामिन या खनिजों के प्रति अविरुद्ध प्रतिक्रियाओं की जांच करने के लिए एक खाद्य उपशोधन परीक्षण किया जा सकता है।
  1. विशेष टेस्ट: चिकत्सक आपकी स्थिति को और विशेष रूप से जांचने के लिए आपको कुछ टेस्ट कराने को कह सकता है जिससे वह आपकी समस्या को अच्छी तरह समझ सके। 
  1. फ़ूड सप्लीमेंट्स का प्रयोग: कई बार पेट की समस्याओं जैसे कब्ज़ , गैस और अपच जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए डॉक्टर आपको फ़ूड सप्लीमेंट लेने की सलाह दे सकता है।  सबसे सुरक्षित और आसान उपाय  इसबगोल का प्रयोग है जो IBS की समस्या को दूर करने के लिए दिया जाता है।  इसाडाइट एक ऐसा ही फ़ूड सप्लीमेंट है जो IBS की समस्या में अधिक प्रयोग किया जाता है। 

वैसे तो पेट की समस्याओं और IBS को कई तरीको और, दवाओं और सप्लीमेंट्स के माध्यम से सही किया जा सकता है पर लम्बे समय तक इन सबके प्रयोग को डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट बढ़ावा नहीं देते है।  एक स्वस्थ जीवनशैली और और अच्छे पाचन के लिए एक हेल्थी लाइफस्टाइल और संतुलित आहार बहुत ही आवश्यक है।  रोज़ की दिनचर्या में इन सभी उपायों को अपनाकर पेट की किसी भी समस्या से बचा जा सकता है।  

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